पंजाब बाढ़ 2025: नदियों का उफान और प्रभावित जिले

Punjab flood problem?

अगस्त 2025 में, पंजाब (भारत) के लगभग 1400 गाँवों और 23 से अधिक जिलों को भीषण बाढ़ संकट का सामना करना पड़ा, जिसे 1988 के बाद लगभग चार दशकों में सबसे विनाशकारी बाढ़ माना जा रहा है।
यह बाढ़ असामान्य रूप से भारी मानसूनी वर्षा के कारण आई, जो ऊपरी जलग्रहण क्षेत्रों — विशेष रूप से हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर — में हुई। इसके साथ ही, कई प्रमुख बांधों — जैसे कि पोंग, रंजीत सागर और भाखड़ा — से छोड़े गए अतिरिक्त पानी ने स्थिति को और भी भयावह बना दिया।

इसका सबसे अधिक प्रभाव निचले इलाकों में पड़ा, खासकर उन जिलों में जो रावी, ब्यास और सतलुज नदियों के किनारे बसे हैं। इन नदियों का जलस्तर खतरे के निशान से काफी ऊपर पहुंच गया, जिससे बड़े पैमाने पर जनजीवन प्रभावित हुआ और भारी जान-माल की हानि हुई।

पंजाब में जिन जिलों को बाढ़ से सबसे अधिक नुकसान हुआ, उनमें गुरदासपुर, अमृतसर, फिरोज़पुर, पठानकोट, कपूरथला और फाजिल्का प्रमुख रूप से शामिल हैं। इसके अलावा, तरनतारन, होशियारपुर, रूपनगर, मोगा, संगरूर, बरनाला, पटियाला और एसएएस नगर (मोहाली) जैसे अन्य जिलों को भी भारी नुकसान हुआ है, जहाँ फसलों की बर्बादी, लोगों का विस्थापन और अधोसंरचना (सड़कों, पुलों आदि) की व्यापक क्षति हुई है।

इन बाढ़ों का प्रभाव केवल पंजाब तक ही सीमित नहीं रहा, बल्कि उत्तर भारत के कई पड़ोसी राज्यों जैसे हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, उत्तराखंड, अरुणाचल प्रदेश यहाँ तक कि पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में भी इसका व्यापक असर देखा गया।

पंजाब में विनाशकारी बाढ़: 3.5 लाख से अधिक लोग प्रभावित, जनजीवन अस्त-व्यस्त

“प्राकृतिक आपदा की इस सबसे बड़ी मार ने पंजाब को झकझोर कर रख दिया है…”

अगस्त 2025 में पंजाब एक भयानक प्राकृतिक आपदा का शिकार बना। चार दशकों में सबसे भयंकर बाढ़ ने राज्य के 23 से अधिक जिलों में तबाही मचा दी, जिससे 3.5 लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए। यह बाढ़ न केवल मानव जीवन के लिए संकट बनी, बल्कि फसलों, मकानों, सड़कों और सामाजिक ढांचे को भी गहरे ज़ख्म दे गई।


बाढ़ की वजह: कहां से आया इतना पानी?

इस विनाश की जड़ में थी ऊपरी हिमालयी क्षेत्रों, खासकर हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर में हुई अत्यधिक बारिश। भारी वर्षा के चलते पोंग, रंजीत सागर और भाखड़ा बांधों से पानी छोड़ना पड़ा, जिससे पंजाब की प्रमुख नदियाँ — रावी, ब्यास और सतलुज — उफान पर आ गईं।


सबसे ज्यादा प्रभावित जिले

बाढ़ का सबसे अधिक कहर जिन जिलों में टूटा, उनमें शामिल हैं:

  • गुरदासपुर
  • अमृतसर
  • फिरोज़पुर
  • पठानकोट
  • कपूरथला
  • फाजिल्का

इन जिलों में सैंकड़ों गाँव पानी में डूब गए, हज़ारों घरों को खाली कराना पड़ा और सड़कों से संपर्क टूट गया।


अन्य प्रभावित क्षेत्र

बाढ़ का असर अन्य जिलों में भी गहरा रहा जैसे:

  • तरनतारन
  • होशियारपुर
  • रूपनगर
  • मोगा
  • संगरूर
  • पटियाला
  • एसएएस नगर (मोहाली)
  • बरनाला

यहाँ खड़ी फसलें नष्ट हो गईं, लाखों की आजीविका पर संकट मंडरा रहा है और हजारों परिवार राहत शिविरों में शरण लेने को मजबूर हैं।


सिर्फ पंजाब नहीं, पूरे उत्तर भारत में असर

यह बाढ़ सिर्फ पंजाब तक सीमित नहीं रही। हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड, अरुणाचल प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में भी इसका व्यापक प्रभाव देखा गया। यहां तक कि पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में भी भारी तबाही की खबरें आईं।


सरकारी प्रयास और राहत कार्य

सरकार द्वारा राहत और पुनर्वास कार्य तेजी से चल रहे हैं। हजारों लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। एनडीआरएफ, स्थानीय प्रशासन और स्वयंसेवी संस्थाएं मिलकर राहत सामग्री, भोजन और दवाइयां उपलब्ध करा रही हैं। फिर भी, इतने बड़े पैमाने पर नुकसान की भरपाई में समय लगेगा।


अंत में: हमें क्या सबक मिला?

पंजाब की यह बाढ़ हमें यह याद दिलाती है कि जलवायु परिवर्तन और अनियंत्रित विकास कितने खतरनाक रूप ले सकते हैं। ज़रूरत है सस्टेनेबल प्लानिंग, बाढ़ पूर्व चेतावनी प्रणालियों को मजबूत करने और नदी प्रबंधन के तरीकों को वैज्ञानिक रूप देने की।

मुख्यमंत्री भगवंत मान और राज्यपाल ने फिरोज़पुर व तरनतारन के बाढ़ग्रस्त इलाकों का किया दौरा

पंजाब में आई भीषण बाढ़ के बीच मुख्यमंत्री भगवंत मान और राज्यपाल ने शनिवार को राज्य के सबसे अधिक प्रभावित जिलों में शामिल फिरोज़पुर और तरनतारन का दौरा किया। यह दौरा उन हजारों प्रभावित परिवारों के बीच उम्मीद की एक किरण के रूप में देखा जा रहा है, जो बाढ़ की तबाही से जूझ रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने बाढ़ पीड़ितों से मुलाकात कर उनकी समस्याएं सुनीं और राहत कार्यों की समीक्षा की। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि राहत सामग्री, पीने का पानी, चिकित्सा सुविधा और अस्थायी आश्रय की व्यवस्था तुरंत सुनिश्चित की जाए। उन्होंने कहा कि सरकार पूरी मजबूती से लोगों के साथ खड़ी है और नुकसान की भरपाई के लिए हरसंभव कदम उठाए जा रहे हैं।

राज्यपाल ने भी प्रभावित क्षेत्रों में राहत शिविरों का निरीक्षण किया और स्वयंसेवकों तथा स्थानीय प्रशासन की सराहना की। उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य मिलकर इस आपदा से निपटने में जुटे हैं।

इस दौरे से स्थानीय लोगों में भरोसा जगा है कि प्रशासन उनकी मदद के लिए सक्रिय है और पुनर्वास कार्यों में तेजी लाई जाएगी।

पंजाब में बाढ़ के कारण 7 सितंबर तक स्कूल बंद

पंजाब इस समय भारी बारिश और बाढ़ की मार झेल रहा है। राज्य के कई जिलों में नदियाँ उफ़ान पर हैं, जिससे जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। ग्रामीण क्षेत्रों में घरों में पानी भर गया है और लोग सुरक्षित स्थानों की ओर पलायन कर रहे हैं। इस स्थिति को देखते हुए राज्य सरकार ने 7 सितंबर तक सभी सरकारी और निजी स्कूल बंद रखने का निर्णय लिया है।

प्रशासन का कहना है कि बच्चों की सुरक्षा सर्वोपरि है। जिन इलाकों में पानी का स्तर अधिक है, वहाँ परिवहन व्यवस्था पूरी तरह से बाधित हो चुकी है। ऐसे में छात्रों का स्कूल आना-जाना खतरनाक साबित हो सकता है। यही कारण है कि सरकार ने एहतियातन छुट्टियों की घोषणा की है।

स्कूल बंद रहने के दौरान शिक्षकों को ऑनलाइन माध्यम से बच्चों को पढ़ाई कराने के निर्देश दिए गए हैं, ताकि उनकी पढ़ाई प्रभावित न हो। वहीं, प्रशासन ने राहत कार्यों को तेज़ कर दिया है और प्रभावित परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाया जा रहा है।

स्थानीय लोगों से अपील की गई है कि वे अफवाहों से बचें और प्रशासन द्वारा जारी निर्देशों का पालन करें। सरकार का कहना है कि स्थिति नियंत्रण में आते ही स्कूल फिर से खोले जाएंगे।

पंजाब की 1988 की बाढ़ और 2025 की मौजूदा बाढ़ में क्या अंतर

समानताएँ (Similarities):

  1. भारी बारिश और नदियों का उफ़ान – दोनों ही बाढ़ें असामान्य और लगातार बारिश के कारण आईं। सतलुज, ब्यास और घग्गर जैसी नदियाँ दोनों ही बार उफ़ान पर थीं।
  2. कृषि भूमि का नुकसान – पंजाब की बड़ी आबादी खेती पर निर्भर है। 1988 और 2025, दोनों ही बाढ़ों में फसलें बर्बाद हुईं और किसानों को बड़ा नुकसान झेलना पड़ा।
  3. जनजीवन अस्त-व्यस्त – घरों में पानी घुसना, सड़कें टूटना, परिवहन ठप होना – ये हालात दोनों ही समय देखने को मिले।

फर्क (Differences):

  1. प्रभाव का स्तर
    • 1988: यह बाढ़ ऐतिहासिक और सबसे विनाशकारी मानी जाती है। लाखों लोग प्रभावित हुए थे और बाढ़ ने पंजाब के लगभग सभी ज़िलों को छुआ था।
    • 2025: अभी की बाढ़ गंभीर है लेकिन प्रभावित इलाक़े सीमित हैं। यह मुख्य रूप से कुछ ज़िलों में ज़्यादा असर डाल रही है।
  2. तकनीक और राहत कार्य
    • 1988: उस समय बचाव और राहत कार्य धीमे थे, क्योंकि तकनीक और संसाधन सीमित थे।
    • 2025: आज ड्रोन, NDRF, बेहतर मौसम पूर्वानुमान और तेज़ आपदा प्रबंधन की वजह से नुकसान को कुछ हद तक कम किया जा रहा है।
  3. कारणों में अंतर
    • 1988: मुख्य कारण असामान्य मॉनसून बारिश और नदियों में पानी का अचानक बढ़ना था।
    • 2025: इसमें जलवायु परिवर्तन, अनियंत्रित निर्माण, और नालों-ड्रेनेज सिस्टम की कमी भी बड़ी वजह मानी जा रही है।

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